Shayari
खुले बालों पर शायरी
उनके खुले बालों को
शाम की हवाओं में उड़ते देखा है,
अक्सर इतरा कर उन्हें
बालों को झटक कर मुड़ते देखा है.
तेरी होठों की खामोशी भी आवाज हो जाती है,
बालों को यूं ना बांधा करो, हवाएं नाराज हो जाती है.
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