Shayari
तारे शायरी | Taare Shayari | Tara Shayari
Shayari on Stars
मैं शहर में लगभग दस साल रहा और अपने काम में इतना व्यस्त था कि मैंने इन दस सालों में तारों से भरा आकाश और सुकून का रात नही देखा. ऐसे लगता था कि किस दुनिया में आ गये है. गाँव में अक्सर जब हम बाहर टहलते है तो अपने आप आकाश में उन खूबसूरत तारों पर नजर चली जाती है जिन्हें देखकर हम बचपन में ख्वाब बुनते है.
तारों वाली रात में बैठकर बड़े ख्वाब बुना करो,
मंजिल पाने के लिए जो सही रास्ता है उसे चुना करो।
तारा भी दिखने में लगता है प्यारा,
पर चाँद की तारीफ में लगा है दुनिया सारा।
Taro Ki Shayari
रात में तारों की छांव में सो जाते है,
बैठे ही बैठे महबूब की याद में खो जाते है।
बड़े दिनों बाद आकाश में तारों को देखा,
जब जिम्मेदारियां बढ़ जाती है जिंदगी कितनी बदल जाती है।
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