पेड़ पर शायरी | Shayari on Tree in Hindi
सेव ट्री हिंदी शायरी | Save Tree Hindi Shayari
जिन पेड़ो को आज काटते है लोग,
उन्हीं पेड़ो के नीचे बैठकर अपना दुःख-दर्द बाँटते थे लोग.
प्रकृति तुमको क्षमा करे ये उसको स्वीकार नहीं,
केवल मानव का ही इस धरती पर अधिकार नहीं,
तुम्हारे पापों का दंड पशु-पंक्षी और अन्य जीव है सहते
क्या सच में मानव तुमको इस धरती से प्यार नहीं।
पेड़ो के काटने से सूख जाती है नदियाँ
दिखता है रेत इस तपन में,
जैसे लिपटा हो कोई इंसान सफेद कफ़न में.
लोग कुल्हाड़ी पेड़ पर नहीं अपने पैरों पर मार रहे है,
इसलिए हर दिन, हर पल प्रकृति से इंसान हार रहे है.
वृक्षारोपण शायरी | Vriksharopan Shayari
इंसान की जीत हुई और प्रकृति की हार हुई है,
लकड़ियों के कुर्सियों पर बैठकर पेड़ बचाने की बात हुई है.
लकड़ियों में आग लगाकर मजे लिए थे सर्दियों में,
अब वही लोग छाँव ढूंढते है गर्मियों में.
पेड़ ही नहीं लगायें तो इस गर्मी में धूप को क्या कोसना,
जिम्मेदारी खुद नहीं लिए तो गंदगी, प्रदूषण और बीमारी
के लिए सरकारों को क्या टोकना।
इस शहर की नौकरी के चक्कर बहुत कुछ भूले,
पेड़ कट गए और याद भी नहीं आते वो सावन के झूले।