मजबूर शायरी | Majboor Shayari in Hindi
Majboor Shayari Hindi
तेरे लिए खुद को मजबूर कर लिया,
जख्मों को अपने नासूर कर लिया,
मेरे दिल में क्या था ये जाने बिना,
तूने खुद को हमसे कितना दूर कर लिया.
किस्मत ने तुमसे दूर कर दिया,
अकेलेपन ने दिल को मजबूर कर दिया,
हम भी जिन्दगी से मुँह मोड़ लेते मगर
तुम्हारे इन्तजार ने जीने पर मजबूर कर दिया.
Majbur Shayari
उनकी यादों से टकराकर बिखरकर चूर रहते हैं,
कुछ इस तरह उनके इश्क़ में हम मजबूर रहते है.
उम्मीद ऐसी हो जो जीने को मजबूर करें,
राह ऐसी हो, जो चलने को मजबूर करें,
महक कम न हो कभी अपनी दोस्ती की,
दोस्ती ऐसी हो जो मिलने को मजबूर करें.
पैगाम कुछ ऐसा लिखों कि
कलम भी रोने को मजबूर हो जाएँ,
हर लफ्ज में वो दर्द भी दो कि
पढ़ने वाला प्यार करने को मजबूर हो जाएँ.
Insaan Majboor Shayari
अब क्या कहें किस्सा हम दिल-ए-मजबूर का,
एक ही दोस्त मिला और वो भी दूर का.
ये जो हालात है इन्सान को कितना मजबूर कर देते है,
घाव छोटा-सा हो तो भी उसे कुरेद कर नासूर कर देते है.
राजी रहा करो खुदा की रजा में,
तुम से भी बहुत मजबूर इंसान है इस जहाँ में.