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शहर पर कविता | Poem on City in Hindi

Poem on City in Hindi ( Shahar Par Kavita ) – गाँवों से लोग बड़ी तेजी से शहर की तरफ भाग रहे हैं और गाँव भी धीरे-धीरे शहरों में तबदील होते जा रहे हैं जिसके कारण जल और वायु प्रदूषण तेजी से फ़ैल रहे हैं. इन प्रदूषण की वजह से कई तरह के बीमारी भी फ़ैल रहे हैं. इन्हीं सब कारणों को ध्यान में रखते हुए शहर पर एक बेहतरीन कविता ( City Poem in Hindi ) लिख रहा हूँ आशा करता हूँ आप लोगों को पसंद आएगा.

Short Poem on City in Hindi | शहर पर एक छोटी कविता

गाँव को गाँव रहने देंगे
शहर नहीं बनायेंगे,
वरना ये हवाएँ और पानी
भी प्रदूषित हो जायेंगे.

सबको लगता है कि
शहर की जिन्दगी बहुत निराली है,
पर जब वहाँ तुम रहोगे
तो पता चलेगा कि वहाँ की रातें कितनी काली है.

माना हर तरफ उजाला होता है
चमकता है वो भी चेहरा जो काला होता है
माना ये चमकते-दमकते घरों में रहते है
पर इनके अंदर कई बीमारियाँ हर कर लेती है.

अब तो शहर के छोटे-छोटे बच्चों को कई बीमारियाँ हो जाती है,
आँखों से कम दिखना और साँसों का फूलना
मैं अक्सर समझ नहीं पाता हूँ कि
बच्चों की आँखों से कम दिखाई देता है
या पढ़े लिखे अक्लमंद लोगो की आँखों से.

सपने हमारे पूरे होने का नाम नहीं लेते हैं,
और हम अपनी जिद छोड़ने को तैयार नहीं होते है,
पैसों के पीछे भागते-भागते खुद से कितनी दूर आ जाते है
जब आँखें खुलती है तो खुद को सिर्फ मजबूर पाते हैं.

गाँव को गाँव रहने देंगे
शहर नहीं बनायेंगे,
वरना ये हवाएँ और पानी
भी प्रदूषित हो जायेंगे.

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