राजनीति पर दोहे | Rajniti Par Dohe | Political Dohe
राजनीति पर दोहे | Rajniti Par Dohe | Political Dohe in Hindi – इस लेख में राजनीति पर दोहे और राजनीतिक दोहे कुछ बेहतरीन लेखकों के दिए हुए है. इन्हें जरूर पढ़े.
राजनीति ( Politics ) हमेशा चर्चा का विषय होता है क्योंकि समाज इसी के इर्द-गिर्द घूमता है. घर, स्कूल, ऑफिस और समाज हर जगह आपको राजनीती देखने को मिल जायेगी। बहुत लोग इसका फायदा उठाते है तो बहुत लोग अपना सब-कुछ गवां देते है. आइयें राजनीति को इन दोहों के माध्यम से समझने का प्रयास करते है.
राजनीति पर दोहे
राजनीति के दाव में, जनता पर है चोट
हर दंगे की ओट में, नेता ढूंढें वोट
सुरेशपाल वर्मा
राजनीति में स्वार्थ है, मानव धर्म विलोप
हिन्दू मुस्लिम सब लड़ें, लड़ें सभी अब पोप
सुरेशपाल वर्मा
मीठे-मीठे शब्द में, हमदर्दी का खेल
भ्रष्टतंत्र के जोर से, प्रजातंत्र है फेल
सुरेशपाल वर्मा
Rajniti Par Dohe
राजनीति में देख लो, ऐसे बैल हज़ार।
खाकर पैसा देश का, लेते नहीं डकार।।
अनुज कुशवाहा
राजनीति में आ गये, करते थे जो जाप।
दिया न इनको वोट तो, दे देंगे ये श्राप।।
अनुज कुशवाहा
राजनीति के खेल में, त्यागो तुम ईमान।
यहीं तरीक़ा है अगर, पाना है सम्मान।।
अनुज कुशवाहा
Political Dohe
राजनीति ने रच दिया, जनमानस में पाप
कितनी भी कोशिश करो, नहीं मिटे संताप
सुरेशपाल वर्मा
खेल-खेल ऐसा करें, करते पाप कमाल
राजनीति नर्तन करे, नेता हरते माल
सुरेशपाल वर्मा
राजनीतिक दोहे
इस पार्टी में चोर जो, उस पार्टी में शाह।
अजब विरोधों से भरी, राजनीति की राह।।
अनुज कुशवाहा
नेताजी जब आ गये, करने यहाँ प्रचार।
लम्बा-सा मुंह खोलकर, वादे किए हज़ार।।
अनुज कुशवाहा
वादा अब तक एक भी, पूरा हुआ न यार।
आने को फिर से यहाँ, नेताजी तैयार।।
अनुज कुशवाहा
Politics Par Dohe
राजनीति पर्याय है, अवगुण रूप अनूप
अभिव्यक्ति के नाम पर, पलते पाप कुरूप
सुरेशपाल वर्मा
राजनीति तो हो गई, चारों खाने चित्त
राष्ट्र-देह में फल रहा, गद्दारी का पित्त
सुरेशपाल वर्मा
राजनीति पर दोहा
जनता कुछ आशा लिए, देती इनको वोट।
लेकिन ये सब जीतकर, गिनते केवल नोट।।
अनुज कुशवाहा
किया नहीं कुछ काम पर, पाना चाहें दाम।
ऐसे नेताओं! तुम्हें, सौ-सौ बार प्रणाम।।
अनुज कुशवाहा
लोकतंत्र का ताज यों, चाटे कब तक धूल।
भले न देना सूद तुम, दे दो केवल मूल।।
अनुज कुशवाहा
राजनीतिक दोहा
तुमसे आशा एक ये, करता है यह देश।
पहनो वस्त्र विकास का, तज दो ढोंगी वेश।।
अनुज कुशवाहा
जीवन रूपी प्रात की, हो जाएगी शाम।
अगर बची हो शर्म कुछ, कर लो अब भी काम।।
अनुज कुशवाहा
राजनैतिक दलों पर दोहा
ताकि भोगते रह सकें, सिंहासन का संग।
स्वयं युधिष्ठर रंग गये दु:शासन के रंग।।
सतीश पाण्डेय
क्या कोई देखे वहाँ, सपनों की तस्वीर।
जुगनू लिखते हों जहाँ, सूरज की तक़दीर।।
सतीश पाण्डेय
चुनाव पर दोहा
भूख लपेटे पेट पर, और होंठ पर प्यास।
पंख-नुचे सपने लिये, सिसक रहा इतिहास।।
सतीश पाण्डेय
छौनों के सपने छिने, गौरेयों के नीड़।
लाल किला बुनता रहा, वादे, भाषण, भीड़।।
सतीश पाण्डेय
Election Par Doha
राजा जी तुम भोगते, हर सुविधा का भोग।
किंतु हमारे वास्ते, नये-नये आयोग।।
सतीश पाण्डेय
सरे आम भूने गये, नित असहाय, अबोध।
दिल्ली रही बघारती, एक नपुंसक क्रोध।।
सतीश पाण्डेय
हर व्यक्ति के दिमाग में यह धारणा बनी हुई है कि कोई नेता अमीर है तो वह बेईमान ही होगा। अगर कोई नेता गरीब है तो वो ईमानदार ही होगा। जिन नेताओं के परिवार है उन्हें भी हम भ्रष्टाचारी कहते है. जो नेता अविवाहित है उन्हें हम ईमानदार मान लेते है. राजनीति में सभी चोर है. कोई छोटा तो कोई बड़ा चोर है. आम इंसान की समझ जहाँ बंद होती है वहाँ से राजनीति शुरू होती है.
जैसे एक इंसान अपने जीवन में कुछ अच्छे तो कुछ बुरे कर्म करता है. ठीक उसी प्रकार नेता भी राजनीति में कुछ अच्छे कार्य और कुछ बुरे कार्य करते है. अच्छे कार्यों की वजह से उन्हें उनके क्षेत्र की जनता चुनती है. पैसा और पॉवर भी चुनाव में जीत दिलाता है. जनता धीरे-धीरे जागरूक हो रही है इसलिए विकास और मुद्दों की बात करने वाले नेता ही आगे निकलेंगे।
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