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घर की यादें शायरी हिंदी | Ghar Ki Yaadein Shayari Hindi

घर की यादें शायरी
जब मैं एक मुद्दत बाद शहर से घर आता हूँ,
मैं अपनों के बीच में खुद को पराया पाता हूँ.
हजारों मकान तलाश किये कोई ऐसा शहर न मिला,
महल मिले पर अपने माँ-बाप के जैसा घर ना मिला.