ग्लोबल वार्मिंग पर कविता | Global Warming Poem in Hindi
Global Warming Poem in Hindi – ग्लोबल वार्मिंग पूरे विश्व के लिए एक ऐसी समस्या है जिसका हल निकालना अति-आवश्यक हैं. यदि इसका हल न निकला गया तो धरती गर्म होती चली जायेगी और इस धरती पर जीवनयापन असम्भव हो जाएगा.
इस पोस्ट में ग्लोबल वार्मिंग पर एक बेहतरीन कविता दी गयी हैं. इस कविता को जरूर पढ़े और जागरूक बने. इस कविता को शेयर करना न भूले.
ग्लोबल वार्मिंग कविता | Global Warming in Hindi Poem
धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा हैं
ऐ मूर्ख इंसान ! तू ये नादानियाँ क्यों कर रहा है?
उस चह-चहाती चिड़िया को
उसके घर से बेघर कर दिया,
खूबसूरत पेड़ो को काटकर
बेजान लकड़ियों से घर भर लिया।
धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा हैं
ऐ मूर्ख इंसान ! तू ये नादानियाँ क्यों कर रहा है?
तरक्की का ये कैसा इतिहास लिख रहे हो,
प्रकृति से ही दुश्मनी मोल ले रहे हो,
पेड़ों को काटना अब करो बंद
प्रकृति माँ के गोद में ही तो पल रहे हो।
क्या कभी आपने सोचा,
धरती गर्म क्यों हो रही है?
तापमान बढ़ क्यों रहा हैं?
समुद्र के जल का स्तर बढ़ क्यों रहा हैं?
बिन मौसम बरसात क्यों हो रहा हैं?
प्राकृतिक संकटों का भरमार क्यों हो रहा हैं?
खूबसूरत सी धरती को बर्बाद कर रहे हैं,
हर दिन जो इतने पेड़ कट रहे हैं।
कई पशु-पक्षी लुप्त होने लगे हैं,
नये-नये संकट जन्म लेने लगे हैं,
जागरूक बनोगे तो पता चलेगा
ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने में हर व्यक्ति का हाथ हैं
पर इसे नियंत्रित करने में नहीं सबका साथ हैं।
आओ मिलकर हम ये शपथ ले,
आज से पेड़ लगायेंगे,
ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने में
अपना सहयोग बढ़ायेंगे।
Short Poem on Global Warming in Hindi
जनसँख्या को बहुत ज्यादा बढ़ाया है,
मासूम जानवरों को मार कर खाया है,
पेड़ों को काटकर घरों को सजाया है,
पहाड़ों को काटकर रास्ता बनाया है,
पवित्र नदियों में कूड़ा-कचरा बहाया है,
बेवजह की झंझावातों में खुद को फंसाया है,
इंसान की गलितयों ने ही ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाया है।
4 Stanza Poem on Global Warming in Hindi
अपनी चेतना को जगाइएं,
जिंदगी को खूबसूरत बनाइएं,
शाकाहार को अपनाइए,
ग्लोबल वार्मिंग को घटाइएं।
जलवायु परिवर्तन पर कविता
पहले एक गौरैया होती थी
एक आदमी होता था
लेकिन आदमी इतना ऊँचा उड़ा
कि गौरैया खो गई!
पहले एक पहाड़ होता था
एक आदमी होता था
लेकिन आदमी ऐसे तन कर खड़ा
कि पहाड़ ढह गया!
पहले एक नदी होती थी
एक आदमी होता था
लेकिन आदमी ऐसे वेग से बहा
कि नदी सो गई!
पहले एक पेड़ होता था
एक आदमी होता था
लेकिन आदमी ऐसे जोर से झूमा
कि पेड़ सूख गया!
पहले एक पृथ्वी होती थी
एक आदमी होता था
लेकिन आदमी इतने जोर से घूमा
कि पृथ्वी रो पड़ी!
पहले एक आदमी होता था…
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