Old Age Budhapa Shayari Status Quotes Image in Hindi – इस आर्टिकल में बुढ़ापा शायरी स्टेटस कोट्स इमेज आदि दिए हुए है. इन्हें जरूर पढ़े.
बुढ़ापा सबके जीवन में आता है. आज आप जवान है तो कल बूढ़े भी होंगे। जैसा आज समाज अपने बुजुर्गों के साथ व्यवहार करेगा, वैसा ही व्यवहार बुजुर्ग होंगे पर उसके साथ भी होगा। इसलिए हमेशा बुजुर्गों को प्यार और सम्मान दे. जीवन में उनके अहमियत को समझिये। बुढ़ापे के लिए हर व्यक्ति को बचत करना चाहिए ताकि अपनी जरूरतों के लिए बच्चों के आगे हाथ ना फैलाना पड़े.
Old Age Shayari in Hindi
तारीखों में धीरे-धीरे व्यतीत हो रहे है हम,
आज है लेकिन हर पल अतीत हो रहे हम.
जो ना सोचों बुढ़ापे में
वही फ़साने होते है,
शरीर कमजोर होकर बीमार होता है
और आँसू भी छुपाने होते है.
सिर्फ जिस्म ही तो बूढ़ा हुआ है,
साहब भूख तो जवान है,
पेट तो भरना ही है जब
तक जान में जान है.
Old Age Status in Hindi
उम्र बिता दिया हमने बच्चों का फ़िक्र करने में,
बच्चे अब व्यस्त है हमारे कमियों का जिक्र करने में.
जब इंसान के शरीर में बुढ़ापा और रोग बढ़ता है,
तब संतान के लायक-नालायक होने का पता चलता है.
क्या पता औलाद काम आये ना आये
बुढ़ापे के लिए कुछ पैसे बचाकर रखना।
Old Age Quotes in Hindi
एक वृद्धाश्रम के गेटपर लिखा हाउ
एक अप्रतिम सुविचार –
नीचे गिरे सूखे पत्तों पर अदब से चलना जरा,
कभी कड़ी धूप में तुमने इनसे ही पनाह माँगी थी.
नोटबंदी में जब नोटों का
रंग बदला तो कुछ लोगो
की जान निकल गई…
सोचो बुढ़ापे में जब किसी
का औलाद रंग बदलता
होगा तो उससपर क्या
बीतती होगी।
तुम्हारी उस अमीरी का क्या फायदा
जब तुम अपने माँ-बाप को अपने साथ
नहीं रख सकते… दुनिया के नजर में तुम
अमीरो लेकिन खुद की नजरों में बहुत
बड़े गरीब हो.
बुढ़ापा शायरी
मेरे-दिल में ये बात हर रोज आती है,
यह बुढ़ापा भी हमे क्या-क्या सिखाती है.
एक उम्र के बाद बीते हुए उम्र की बातें याद आती है,
अफसोस कि वह उम्र, उम्र भर लौट कर नहीं आती है.
बुढ़ापा स्टेटस
चेहरे की झुर्रियों से उम्र का पता चलता है,
वरना दिल से दुनिया में कौन बूढ़ा होता है.
पहले बड़ी आयु वाले का सम्मान होता था,
अब बड़ी आय वाले का सम्मान होता है.
Old Age Thoughts in Hindi
जीवन में महत्वपूर्ण यह नहीं है
कि आपकी उम्र क्या है बल्कि
महत्वपूर्ण यह है कि
“सोच” आप किस “उम्र” की रखते है.
वृद्धावस्था की समस्या मशीनीकृत विश्व की उपज है जो हमारे देश तक ही सीमित नहीं है. यह बहुत से विकसित देशों का भी सिरदर्द है. पहले अधिकाँश लोग 45-50 वर्ष की उम्र में वृद्ध हो जाते थे. किन्तु अब वृद्धावस्था लगभग सेवा निवृत्ति साठ वर्षों के बाद मानी जाती है. आधुनिक युग में वृद्धावस्था काफी देर से आती है तथा आयु का प्रभाव भी धीरे-धीरे उजागर होता है. औद्योगीकरण एवं पश्चिमी सभ्यता के कारण, संयुक्त परिवार के टूटने के परिणामस्वरूप तथा हमारे सिद्धांतों में परिवर्तन के कारण वृद्ध व्यक्ति कई गंभीर समस्याओं से जूझते है एवं उनका जीवन वास्तव में कष्टकर हो जाता है. वृद्धावस्था में वृद्ध व्यक्ति अपने बच्चों से शारीरिक, नैतिक, वित्तीय एवं भावनात्मक सहारे की जरूरत महसूस करते है जो अपने भविष्य को सँवारने की समस्याओं एवं पारिवारिक जीवन में उलझे होते है तथा वे अपने माता-पिता की जरूरतों पर ध्यान देने तथा उनकी भावनाओं को संतुष्ट करने के अयोग्य होते है. वृद्ध व्यक्तियों को परिवार एवं समाज पर बोझ या थोपे थोपे गये सदस्य की भावना से ग्रसित होकर लोग उनकी उपेक्षा करते है. बच्चे, पौत्र-पौत्रियां और घरेलू नौकर तक उनकी और ध्यान नहीं देते एवं हर बात पर उनका तिरस्कार करते है. वृद्ध व्यक्तियों के प्रति उनका रवैया अवमाननापूर्ण एवं अपमानजनक होता है. जब ऐसी बातें होती है तो वृद्ध व्यक्ति निराशा के अथाह सागर में डूब जाते है. इस निराश से वे शारीरिक एवं मानसिक तनाव में रहते है. वृद्ध व्यक्ति भी विचित्र स्वभाव द्वारा अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते है तथा युवा लोगो से लंबे तर्क करके अपने आप को मूर्ख बनाते है क्योंकि उनके तर्क कोई सुनना नहीं चाहता। वे सही हो सकते है किन्तु उनकी उम्र सही नहीं होती। उनके अच्छे कार्य भी पसंद नहीं किये जाते। यहाँ तक कि जब वे युवाओं पर अपने प्यार की वर्ष करते है तो उन्हें ऊँची आवाज में बोलकर अपमानित किया जाता है.
जिन वृद्ध व्यक्तियों की आय का कोई स्त्रोत नहीं है, उनकी स्थिति और भी दयनीय है, उनका ध्यान कोई नहीं रखता। कोई उनसे बात नहीं करता। यदि वे संयुक्त परिवार में रहते है तो कोई भी उनकी देखभाल की जिम्मेवारी नहीं लेता। यदि किसी के दो या अधिक पुत्र है तो कोई भी एक साथ माता-पिता का पोषण करने को तैयार नहीं है. माता-पिता का बँटवारा हो जाता है. एक पुत्र पिता को रखता है तो दूसरा माता को. इस कारण वृद्ध दम्पति कभी आपस में मिलकर बातचीत नहीं कर पाते।
वृद्ध व्यक्तियों के प्रति ऐसी प्रवृत्ति का कारण समाज में बढ़ता भौतिकवाद है. आधुनिक परिवारों के सदस्य हर सदस्य से आय की अपेक्षा करते है तथा परिवार के सुखमय एवं आरामदेह जीवन-स्तर में प्रत्येक सदस्य से सहयोग की आशा करते हैं. जिस वृद्ध सदस्य से ऐसे अपेक्षित सहयोग में अक्षमता प्रकृट होने लगती है, वे परिवार के बोझ के रूप में प्रतीत होने लगते है. परिणामस्वरूप रक्त संबंध की भावना भी बौनी हो जाती है.
वृद्धावस्था की समस्याओं के समाधान काफी आसान एवं हमारी पहुँच के अंदर हैं. चूँकि यह समस्या काफी आधुनिक समय की उपज हिअ इसलिए इसका समाधान वृद्धों के लिए अलग आवास बनाना नहीं है बल्कि उनका ध्यान रखना, प्यार एवं स्नेह है. हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम भी एक दिन वृद्ध होंगे और यदि हमारे बच्चे भी हमारे साथ ऐसा व्यवहार करेंगे तो हम बीच प्रसन्न एवं खुश नहीं रह सकेंगे। इसलिए अपनी प्रवृति में सकारात्मक परिवर्तन ही एकमात्र समाधान है. तभी हम इस समस्या को समाप्त करने में सक्षम होंगे।
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