Shayari
जनसंख्या पर शायरी | Shayari on Population in Hindi
इंसान अपनी लाचारी पर हँसता जा रहा है,
जनसँख्या वृद्धि का ग्राफ बढ़ता जा रहा है.
आबादी निगल गयी देश के हर संसाधन
हमने काट दिए देश के हाथो को,
अगली पीढ़ी को क्या हम देंगे
सोचों जरा इन बातो को.
जहाँ पहले नजर आते थे
जंगल, खेत-खलिहान और मैदान,
अब वहीं नजर आते है
मकान ही मकान और इंसान ही इंसान।
काम नहीं आएगी – दुआ, पूजा और सिद्धि,
हर समस्या का कारण है जनसँख्या वृद्धि।
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