ग्लोबल वार्मिंग शायरी | Global Warming Shayari
Global Warming Shayari – ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी समस्या है. जिससे हर इंसान प्रभावित है. क्योंकि यह पर्यावरण, मानसून, स्वास्थ और अन्य कई ऐसी चीजों को प्रभावित करता है, जो सीधे तौर पर हमसे जुडी हुई है. प्रगति के दौर में और पैसा कमाने के नशे में हर पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचाते है. पेड़ो का कटना, जंगलों का खत्म होना, नदियों का प्रदूषित होना, प्लास्टिक के कूड़े का पहाड़ में बदलना, इलेक्ट्रॉनिक कचरा, आदि ऐसे बहुत सी समस्याएं है जिनकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ता है. सरकार कई बार कई राज्यों में पॉलीथीन पर रोक लगा चुकी है फिर भी उसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा. कई शहरों में आज भी लोग बाजार से सामन को पॉलिथीन में ही लाते है जबकि उन्हें कपडे के झोले का इस्तेमाल करना चाहिए।
सर्वप्रथम पढ़े लिखे लोगो को जागरूक होना होगा। तभी इस समाज में बदलाव सम्भव हो पायेगा। शहर के उन पढ़े लिखे लोगो की अपेक्षा उन गाँव के लोगो को होशियार मानता हूँ जो बाजार जाते समय झोला ले जाते है. इस पोस्ट में ग्लोबल वार्मिंग शायरी ( Global Warming Shayari ) दिए हुए हैं. इन शायरी को जरूर पढ़े. इसे अपना व्हाट्सऐप स्टेटस बनाये, फेसबुक और ट्विटर पर शेयर करें।
ग्लोबल वार्मिंग शायरी | Global Warming Shayari in Hindi
कौन है जिम्मेदार धरती के इस हाल का?
खुद ही खुद को जबाब देना इस सवाल का.
वक्त बदला, सदियाँ बदली, बदले सदियों के दस्तूर,
वन कटे, जीव घटे, नहीं कम हुई इंसानो की फ़ितूर।
ArifRaza
अगर तुम्हें ग्लोबल वार्मिंग से निजात पाना है,
तो इस धरती को हरा भरा करके दिखाना है.
पढ़े-लिखे लोगो के सोचने की क्षमता कम हो रही है,
शायद इसलिए ही ये धरती गर्म हो रही है.
ज्वर से पीड़ित धरा की, ना कोई सुने कराह,
तपती जाए धरती, पर ना कोई करे परवाह।
Nitu Gautam
ग्लोबल वार्मिंग शायरी | Global Warming Status in Hindi
पहले तो बढ़ रहा था,
अब लाल निशान के पार है तापमान,
पहले इससे डर था भविष्य में
अब वही भविष्य है वर्तमान।
इन जहरीली हवाओं की भी इक दास्तान है,
ग्लोबल वर्मिंग बढ़ने का इक निशान है.
ऐसा क्यों लगता है ग्लोबल वर्मिंग
बढ़ा कर तुम आबाद हो जाओगे,
प्रकृति के इशारों को समझो
इससे तुम बर्बाद हो जाओगे।
प्रकृति के प्रकोप को देख कर क्यों डरता है इंसान,
जबकि प्रकृति से खिलवाड़ खुद करता है इंसान।
संभल जाओ “ऐ दुनिया” वालो अभी भी वक़्त है,
क्योंकि तुम्हारे ख़िलाफ़ प्रकृति अब बहुत सख़्त है.
ग्लोबल वार्मिंग शायरी | Global Warming Shayari
धरती ने सदैव ही मानव को अपना सर्वस्व दिया है,
और हमारी लापरवाहियों ने इस धरती को गर्म कर दिया है.
ग्लोबल वार्मिंग से इस धरती को कर डाला बेहाल,
कभी यहाँ तो कभी वहाँ, मत पूछो कहाँ-कहाँ आता है भूचाल।
ओजोन परत फट रहे है और धरती रो रही है,
साल दर साल ये धरती कितनी गर्म हो रही है.
बढ़ती आबादी भी ग्लोबल वार्मिंग का कारण है,
हर इंसान के हाथ में इस समस्या का निवारण है.
कही बाढ़ से तबाही का आना,
कही सूखे का पड़ जाना,
कही जमीन का काँपना,
बड़े हिमगिरों का पिघलना,
निश्चित ही मान लो
ग्लोबल वार्मिग का आना,
चारो तरफ तबाही ही भाही मचाना।
साँसों को नहीं मिल रहा,
शुद्ध हवा का झोंका,
न जाने कौन कर रहा है
किसके साथ धोखा।
काँट रहे है वृक्षों को,
बाँट रहे है धरती को,
विकास के नाम पर
नष्ट कर रहे इस सृष्टि को.
वक्त बदला, बदले सदियाँ, बदली सदियों की दस्तूर
वन कटे, जीव घटे, नहीं काम हुई इंसानों की फितूर।
सब गुनहगार है प्रकृति के कत्ल में,
इन हवाओं को जहरीला किसने बनाया है?
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